Supreme Court on EMI Bounce – आज के समय में लोन लेना आम बात हो गई है। लोग घर, गाड़ी, मोबाइल, या अन्य चीजें खरीदने के लिए आसानी से लोन ले लेते हैं। लोन लेने की प्रक्रिया कंपनियों ने बहुत आसान बना दी है। लेकिन लोन लेना जितना आसान है, उसकी EMI (मासिक किस्त) चुकाना उतना ही महत्वपूर्ण है। कई बार लोग आर्थिक तंगी या अन्य कारणों से EMI चुकाने में असफल हो जाते हैं। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला दिया है, जो लोन लेने वालों को जरूर जानना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति लोन की EMI नहीं चुकाता है, तो लोन देने वाली कंपनी (फाइनेंसर) उस संपत्ति पर कब्जा कर सकती है, जो लोन के बदले फाइनेंस की गई थी। इसका मतलब यह है कि अगर आपने किसी वाहन को फाइनेंस पर लिया है और समय पर किस्त नहीं चुकाई, तो फाइनेंसर उस वाहन का मालिक बन सकता है।
वाहन का मालिकाना हक फाइनेंसर को मिलेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक लोन की सभी किस्तें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक फाइनेंसर ही वाहन का मालिक होगा। अगर कोई व्यक्ति लगातार EMI भरने में चूक करता है, तो फाइनेंसर को उस वाहन को जब्त करने का अधिकार होगा। कोर्ट ने इसे गैर-अपराधी प्रक्रिया माना है।
पूरा मामला क्या है
यह मामला उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर जिले का है। राजेश तिवारी नाम के व्यक्ति ने 2003 में महिंद्रा मार्शल गाड़ी खरीदी थी। उन्होंने 1 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करके गाड़ी को फाइनेंस पर लिया। उनकी मासिक EMI 12,531 रुपये थी।
राजेश ने केवल 7 महीनों तक EMI भरी। इसके बाद उन्होंने कोई किस्त जमा नहीं की। करीब 5 महीने की चूक के बाद फाइनेंस कंपनी ने उनकी गाड़ी को जब्त कर लिया।
उपभोक्ता अदालत का फैसला
राजेश तिवारी ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में केस दर्ज किया। अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और फाइनेंसर पर 2 लाख 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कहा कि फाइनेंस कंपनी ने बिना नोटिस दिए गाड़ी जब्त की, जो गलत था।
सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला
फाइनेंस कंपनी ने उपभोक्ता अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राजेश तिवारी डिफॉल्टर थे और उन्होंने खुद स्वीकार किया कि वे केवल 7 महीनों तक ही EMI चुका सके। सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने को रद्द कर दिया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बिना नोटिस गाड़ी उठाने के लिए फाइनेंसर पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
लोन न चुकाने के गंभीर परिणाम
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि लोन चुकाना आपकी जिम्मेदारी है। अगर आप लोन की किस्तें नहीं चुकाते, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- फाइनेंसर आपकी संपत्ति को जब्त कर सकता है।
- आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाएगा।
- कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
EMI न भरने से बचने के उपाय
- आर्थिक योजना बनाएं: लोन लेने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए योजना बनाएं।
- बजट बनाएं: मासिक खर्चों को नियंत्रित करें और EMI के लिए अलग से बजट रखें।
- फाइनेंसर से संपर्क करें: अगर आप समय पर EMI नहीं भर पा रहे हैं, तो फाइनेंसर से बात करें और पुनर्भुगतान योजना पर चर्चा करें।
- छोटे लोन लें: अपनी क्षमता के अनुसार ही लोन लें ताकि चुकाना आसान हो।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोन लेने वालों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। अगर आप लोन लेते हैं, तो समय पर EMI भरना आपकी जिम्मेदारी है। यह न केवल आपके क्रेडिट स्कोर को अच्छा रखेगा, बल्कि आपको कानूनी परेशानियों से भी बचाएगा। लोन लेने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का आकलन करें और हमेशा समय पर भुगतान सुनिश्चित करें।
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