Supreme Court On EMI : आजकल लोन लेना तो बहुत आसान हो गया है, लेकिन समय पर EMI न चुकाने पर दिक्कतें भी खूब बढ़ जाती हैं। बैंक और NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां) तुरंत रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं। इसी को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है, जो लोन लेने वालों के लिए जानना बहुत जरूरी है।
लोन की EMI नहीं भरने पर क्या होता है
अगर आपने किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन लिया है और समय पर EMI नहीं चुका रहे हैं, तो कंपनी आप पर कानूनी कार्रवाई कर सकती है। जैसे कि अगर आपने कार लोन लिया है और किस्तें नहीं भर रहे हैं, तो फाइनेंस कंपनी आपकी कार जब्त कर सकती है।
अब सवाल उठता है कि क्या बिना नोटिस दिए ऐसा किया जा सकता है? इसी से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जहां कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुंचा
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर के एक युवक ने 2013 में एक गाड़ी फाइनेंस पर खरीदी थी। उसने 1 लाख रुपये की डाउनपेमेंट दी और बाकी लोन लिया। शुरुआती 7 महीने तक तो उसने ईएमआई समय पर भरी, लेकिन फिर 5 महीने तक किस्तें नहीं चुकाई।
इस पर फाइनेंस कंपनी ने उसकी गाड़ी जब्त कर ली। युवक ने उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) में शिकायत दर्ज करवाई, जहां अदालत ने बिना नोटिस गाड़ी उठाने को गलत ठहराया और कंपनी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। मामला फिर हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
फाइनेंस कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने देखा कि ग्राहक ने खुद माना कि उसने 5 महीने तक EMI नहीं भरी थी। कोर्ट ने कहा कि फाइनेंस कंपनी ने उसे पर्याप्त समय दिया था और गाड़ी जब्त करना गैर-कानूनी नहीं है।
हालांकि, बिना नोटिस दिए गाड़ी उठाना सही नहीं माना गया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंस कंपनी पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह फैसला लोन लेने वालों के लिए एक अहम सबक है कि EMI चुकाने में देरी करने पर गाड़ी जब्त हो सकती है, लेकिन कंपनी को उचित प्रक्रिया अपनानी होगी।
लोन रिकवरी के नियम क्या हैं
अगर आप लोन चुका नहीं पा रहे हैं, तो बैंक या फाइनेंस कंपनी सीधे जब्ती नहीं कर सकती। रिकवरी एजेंट को कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है:
- दुर्व्यवहार नहीं कर सकते: रिकवरी एजेंट ग्राहक से गलत भाषा या जबरदस्ती नहीं कर सकते
- रात के समय संपर्क नहीं कर सकते: रिकवरी एजेंट सुबह 8 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद कॉल नहीं कर सकते
- नोटिस देना जरूरी: लोन डिफॉल्टर को पहले नोटिस भेजना जरूरी है
- ग्राहक को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए: ग्राहक को सफाई देने और समाधान निकालने का अवसर मिलना चाहिए
लोन डिफॉल्ट पर कानूनी प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि अगर किसी लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करना हो, तो बैंक या फाइनेंस कंपनी को ग्राहक को पहले सूचित करना होगा। ग्राहक को यह बताने का अवसर मिलना चाहिए कि वह EMI क्यों नहीं चुका पा रहा और आगे वह इसे कैसे चुकाने की योजना बना रहा है।
लोन लेने से पहले क्या करें
- नियम और शर्तें अच्छे से पढ़ें: लोन लेने से पहले उसकी शर्तों को समझना बहुत जरूरी है
- ईएमआई का सही प्लान बनाएं: अपनी आमदनी और खर्चों के हिसाब से लोन लें, ताकि EMI समय पर चुका सकें
- समस्या आने पर बैंक से बात करें: अगर आप EMI नहीं चुका पा रहे हैं, तो बैंक से बात करें और कोई समाधान निकालें
- सिबिल स्कोर बनाए रखें: समय पर EMI चुकाने से आपका सिबिल स्कोर बेहतर रहेगा और आगे आपको आसानी से लोन मिल सकेगा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि लोन की EMI नहीं चुकाने पर बैंक या फाइनेंस कंपनी गाड़ी जब्त कर सकती है, लेकिन बिना नोटिस दिए ऐसा करना गलत होगा। इसलिए अगर आपने भी लोन लिया है, तो EMI समय पर भरना सबसे अच्छा रहेगा, नहीं तो कानूनी झंझट में पड़ सकते हैं।
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