Salary Hike In 8th Pay Commission : बजट में भले ही 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के बारे में कोई घोषणा न हुई हो, लेकिन इस नए वेतन आयोग का रास्ता अब साफ हो चुका है। उम्मीद की जा रही है कि ये वेतन आयोग 2026 तक बन जाएगा, जिसका फायदा लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स को मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि इस नए वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी और पेंशन में कितना इजाफा हो सकता है।
साल 2026 तक आने वाला ये वेतन आयोग कर्मचारियों की सैलरी को लेकर एक बड़ी खुशखबरी लेकर आ सकता है। सरकार ने जनवरी में ही इस आयोग के गठन के लिए मंजूरी दे दी थी। इसका मतलब अब कर्मचारियों को महंगाई से राहत मिलेगी और उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। इस घोषणा के बाद से कर्मचारियों और पेंशनर्स में उम्मीदें बढ़ गई हैं, और सैलरी में होने वाले बदलाव के बारे में चर्चा तेज हो गई है।
कैसे तय होता है सैलरी का स्ट्रक्चर
वेतन आयोग बनाने का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को महंगाई के इस दौर में राहत देना है। जब भी कोई नया वेतन आयोग बनता है, तो ये कई पहलुओं पर ध्यान देता है। आयोग में शामिल सदस्य वेतन, वित्त, अर्थशास्त्र और मानव संसाधन के एक्सपर्ट होते हैं। इनकी सलाह के आधार पर महंगाई, देश की आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों के हक को देखते हुए सैलरी का स्ट्रक्चर तय किया जाता है।
क्यों जरूरी है वेतन आयोग
अब तक केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के तहत सैलरी और पेंशन मिल रही है। लेकिन अब इस नए आयोग के सामने चुनौती ये है कि कर्मचारियों को एक ऐसा वेतन स्ट्रक्चर मिले, जो प्रतिस्पर्धी हो, सरकार के लिए वहन योग्य हो और कर्मचारियों के लिए आकर्षक हो। नया वेतन आयोग कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन को आसान और तर्कसंगत बनाएगा, जिससे कर्मचारी इससे खुश होंगे।
कर्मचारियों की परफॉर्मेंस भी है मायने रखती
वेतन आयोग को यह ध्यान रखना होता है कि कर्मचारियों के परफॉर्मेंस का भी इस नए सैलरी स्ट्रक्चर पर असर पड़ता है। यानी यह जरूरी है कि कर्मचारियों को महंगाई के मुकाबले एक उचित और व्यावहारिक सैलरी मिले, जिससे उनकी प्रेरणा बनी रहे। इस तरह की बढ़ोतरी कर्मचारियों को अपनी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए भी प्रेरित करती है।
कितनी बढ़ सकती है सैलरी
नई सैलरी का तय करने का एक प्रमुख तरीका है फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor)। फिलहाल, सातवें वेतन आयोग के तहत फिटमेंट फैक्टर 2.57 है। इसका मतलब यह है कि नए वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी को 2.27 गुना तक बढ़ाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, पहले जो कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 7000 रुपये थी, अब वह 18,000 रुपये हो गई है। ऐसे में नए आयोग में यह बढ़कर 41,000 से लेकर 51,480 रुपये तक हो सकती है।
नए आयोग का असर पेंशनर्स पर भी
केंद्र सरकार का यह नया वेतन आयोग सिर्फ कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पेंशनर्स पर भी पड़ेगा। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक बढ़ जाता है, तो पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 9000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये हो सकती है। इस बढ़ोतरी से रिटायर्ड कर्मचारियों को भी काफी राहत मिल सकती है। कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार, कर्मचारियों की सैलरी में लगभग 200 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
फिटमेंट फैक्टर क्यों है अहम
फिटमेंट फैक्टर वह संख्या है, जो कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन को महंगाई के हिसाब से बढ़ाता है। यही वह तरीका है, जिससे कर्मचारियों को उनकी सही सैलरी मिलती है। इस फैक्टर को हर वेतन आयोग के दौरान संशोधित किया जाता है, ताकि कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। इस समय, कर्मचारियों के संघ 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 3 प्रतिशत से ज्यादा रखने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस पर सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
पहले वेतन आयोग से अब तक का सफर
आजादी के बाद जब पहले वेतन आयोग का गठन 1946 में हुआ था, तो उस समय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी महज 55 रुपये थी। तब से लेकर अब तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। हर नए आयोग के साथ कर्मचारियों की सैलरी में शानदार बढ़ोतरी हुई है।
साल 2026 में लागू होगा नया वेतन आयोग
सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2025 में खत्म होगा, और 1 जनवरी 2026 से नया वेतन आयोग लागू हो सकता है। हालांकि, ये आंकड़े सिर्फ कर्मचारियों की बेसिक सैलरी के हैं। वेतन आयोग कर्मचारियों को महंगाई, मेडिकल, आवास और परिवहन भत्ते भी प्रदान करता है, जो कुल मिलाकर कर्मचारियों की सैलरी को दोगुना तक बढ़ा सकते हैं।
राज्य सरकारों पर भी होगा असर
केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और डीए में बढ़ोतरी के बाद राज्य सरकारों में भी यही मांग उठ सकती है। राज्य सरकारें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को अपने स्तर पर लागू कर सकती हैं, लेकिन इसका निर्णय उनके वित्तीय हालात पर निर्भर करेगा।
इस नए वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए शानदार बदलाव की संभावना है। यह कदम उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा और महंगाई के दौर में उन्हें राहत देगा।
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