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लोन नहीं भरने वालों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, लोन लेने वाले जरूर जान लें अपडेट EMI Bounce

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आधुनिक समय में लोगों की वित्तीय जरूरतें बढ़ गई हैं, जिसके चलते लोन लेना आम हो गया है। लेकिन कई बार आर्थिक तंगी के कारण लोग लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसे में बैंक सख्त कार्रवाई करते हैं, जिससे लोनधारकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जो उन लोगों के लिए राहत भरी खबर है, जो किसी कारणवश अपना लोन चुकाने में असमर्थ हैं।

लोन न चुकाने पर क्या होता है?

जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है, तो उसे एक तय समय में वापस चुकाना होता है। यदि लोन की किस्तें समय पर नहीं भरी जातीं, तो बैंक नोटिस भेजता है और कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है। लोन न चुकाने की स्थिति में बैंक द्वारा उठाए जाने वाले कुछ मुख्य कदम इस प्रकार हैं:

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🔹 नोटिस जारी करना – बैंक पहले लिखित नोटिस भेजकर लोन चुकाने की याद दिलाता है।
🔹 देर से भुगतान पर जुर्माना – लोन की किस्त समय पर न चुकाने पर बैंक जुर्माना लगाता है।
🔹 क्रेडिट स्कोर पर असर – लोन न चुकाने से व्यक्ति का CIBIL स्कोर खराब हो जाता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
🔹 कानूनी कार्रवाई – अगर व्यक्ति लगातार लोन चुकाने में असमर्थ रहता है, तो बैंक कानूनी कार्रवाई कर सकता है और संपत्ति जब्त कर सकता है।

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हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिससे लोन न चुका पाने वाले लोगों को राहत मिलेगी

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दिल्ली हाईकोर्ट का एलओसी पर बड़ा फैसला

एलओसी (Look Out Circular – LOC) एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत सरकार किसी व्यक्ति के विदेश जाने पर रोक लगा सकती है। आमतौर पर एलओसी गंभीर आपराधिक मामलों में जारी किया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में बैंकों ने लोन डिफॉल्ट करने वाले लोगों के खिलाफ भी एलओसी जारी कर दिया।

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि हर लोन डिफॉल्ट के मामले में एलओसी जारी नहीं किया जा सकता। एलओसी केवल उन्हीं मामलों में लागू होगा, जहां व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत कोई आपराधिक आरोप हो

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यह फैसला लोनधारकों के लिए बहुत राहत भरा है, क्योंकि अब बैंक बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के एलओसी जारी नहीं कर सकते

मौलिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बैंक को किसी भी लोन डिफॉल्टर के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एलओसी जारी करने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है

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यह फैसला उन लोनधारकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक तंगी के कारण समय पर लोन नहीं चुका पा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बिना किसी आपराधिक आरोप के किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता

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कार लोन विवाद

दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले का आधार एक कार लोन विवाद था।

🔹 2013 में याचिकाकर्ता ने दो कारों के लिए लोन लिया।
🔹 पहली कार के लिए 13 लाख रुपये और दूसरी कार के लिए 12 लाख रुपये का लोन लिया गया।
🔹 लोनधारक ने किस्तें चुकाना बंद कर दिया, जिससे बैंक ने कई नोटिस जारी किए।
🔹 बैंक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ एलओसी जारी कर दिया।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एलओसी रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे और अदालत में उपस्थित रहेंगे

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए एलओसी रद्द कर दिया और कहा कि बिना आपराधिक आरोप के एलओसी जारी करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है

लोनधारकों के लिए सीख

दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले से लोनधारकों को कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:

✔️ मौलिक अधिकारों की रक्षा – बैंक आपकी स्वतंत्रता नहीं छीन सकता।
✔️ एलओसी के नियम – बिना आपराधिक आरोप के एलओसी जारी नहीं किया जा सकता।
✔️ बैंक से संवाद बनाए रखें – लोन संबंधी नोटिस का जवाब देना बहुत जरूरी है।

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कैसे बचें ऐसी स्थिति से?

अगर आप लोन चुकाने में परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:

1. समय पर लोन चुकाएं

लोन लेने से पहले अपनी आय और खर्चों का सही आकलन करें और सुनिश्चित करें कि आप समय पर किस्तें भर सकते हैं।

2. बैंक से बातचीत करें

अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो बैंक से संपर्क करें। कई बैंक ग्राहकों को लोन पुनर्गठन (Loan Restructuring) या ईएमआई में छूट देने का विकल्प देते हैं।

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3. कानूनी सलाह लें

अगर बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहा है, तो तुरंत कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला लोनधारकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि बैंक अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकते और हर व्यक्ति को न्याय और कानूनी सुरक्षा का अधिकार है

अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बैंक से संवाद करें, कानूनी प्रक्रिया का पालन करें और अपने अधिकारों की रक्षा करेंबैंक और लोनधारकों के बीच बातचीत और समझौता ही ऐसी समस्याओं का सबसे अच्छा समाधान है

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Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

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