DA Merge : महंगाई भत्ता मर्जर (Dearness Allowance Merger) की बातें जोर पकड़ रही हैं। केंद्रीय कर्मचारियों का डीए (DA) अब 56% तक पहुंचने वाला है। ऐसे में बेसिक सैलरी में डीए को मर्ज करने का फॉर्मूला फिर चर्चा में है। 5वें वेतन आयोग के समय का ये प्रावधान एक बार फिर लागू हो सकता है। इससे ना सिर्फ कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी, बल्कि सैलरी स्ट्रक्चर में भी बड़ा बदलाव होगा। आइए जानते हैं इसका पूरा कैलकुलेशन और असर।
8वें वेतन आयोग की मंजूरी और DA में बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी की बातें भी लगभग पक्की हो चुकी हैं। 1 जनवरी 2025 से डीए बढ़कर 56% हो जाएगा। ऐसे में डीए मर्ज का प्रावधान लागू करने की संभावना तेज हो गई है। अगर ऐसा हुआ तो सैलरी स्ट्रक्चर पूरी तरह से बदल जाएगा।
कर्मचारियों की उम्मीदें
कर्मचारी चाहते हैं कि मूल वेतन (Basic Pay) संशोधित हो और उसके बाद महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाए। इससे हर सैलरी बढ़ोतरी सीधे तौर पर ज्यादा फायदेमंद होगी।
5वें वेतन आयोग का फॉर्मूला
1996 में लागू 5वें वेतन आयोग में एक नियम था कि जब डीए 50% से ज्यादा हो जाए, तो इसे बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाए। इसी नियम के तहत 2004 में डीए का 50% हिस्सा बेसिक सैलरी में जोड़ा गया था। इससे सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव हुआ था और कर्मचारी खुश थे। लेकिन उसके बाद के दो वेतन आयोग (6th और 7th Pay Commission) में इस नियम को लागू नहीं किया गया।
क्यों फायदेमंद है डीए मर्ज
अगर डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाता है, तो सरकार और कर्मचारियों, दोनों को फायदा होगा। इससे सरकार को हर बार डीए में बढ़ोतरी के लिए अलग से प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं होगी और कर्मचारियों को समय पर सैलरी में सुधार मिलेगा।
6वें और 7वें वेतन आयोग का रुख
6ठे वेतन आयोग में डीए मर्ज का कोई प्रावधान नहीं था। 7वें वेतन आयोग के समय कर्मचारी यूनियनों ने फिर से इस फॉर्मूले को अपनाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। अगर ये प्रावधान लागू हो जाता, तो 2024 में ही सैलरी संशोधन हो चुका होता।
8वें वेतन आयोग में क्या होगा
अब 8वें वेतन आयोग में कर्मचारी यूनियनें फिर से मांग कर रही हैं कि जब डीए 50% तक पहुंच जाए, तो उसे बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाए। महंगाई के बढ़ते रुझान को देखते हुए ये जरूरी लगता है। साथ ही, नए आयोग में सैलरी को पूरी तरह से संशोधित करने का भी प्रावधान लाया जा सकता है।
56% होगा डीए
फिलहाल डीए 53% है और 2025 की शुरुआत से यह बढ़कर 56% हो जाएगा। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) के आंकड़ों के मुताबिक, यह बढ़ोतरी लगभग पक्की है। ऐसे में डीए मर्ज की बात और तेज हो गई है।
सैलरी स्ट्रक्चर पर असर
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद बेसिक पे में संशोधन होगा और डीए जीरो से शुरू होगा। इसके बाद, हर साल दो बार डीए में संशोधन होगा।
न्यूनतम वेतन की मांग
एनएफआईआर (NFIR) के सेक्रेटरी जनरल एम राघवैया के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 36,000 रुपये तय करने की मांग की जाएगी। उन्होंने अगस्त 2024 में इसे 32,500 रुपये करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसे तुरंत लागू नहीं किया गया। अब उम्मीद है कि नया आयोग इसे जल्द लागू करेगा।
महंगाई और सैलरी में तालमेल जरूरी
महंगाई के बढ़ते स्तर को देखते हुए डीए और बेसिक सैलरी का तालमेल बैठाना जरूरी हो गया है। 5वें वेतन आयोग के बाद जो फॉर्मूला लागू नहीं हो सका, उसे अब नए आयोग में लाने की कोशिश हो रही है। कर्मचारियों की यूनियनों का भी जोर है कि इस बार सरकार इसे गंभीरता से ले और डीए मर्ज के प्रावधान को लागू करे।
क्या फायदा होगा
- सैलरी स्ट्रक्चर में स्थायित्व आएगा
- हर बार डीए बढ़ने की झंझट खत्म होगी
- कर्मचारियों की सैलरी में सीधा फायदा होगा
सरकार और कर्मचारियों की इस खींचतान में अब देखना होगा कि नए वेतन आयोग में डीए मर्ज का प्रावधान लागू होता है या नहीं। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो यह कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है।
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