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हर 3 महीने में बढ़ेगा DA? सरकारी कर्मचारियों के लिए आ सकती है बड़ी खुशखबरी! DA Hike Update

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DA Hike Update: महंगाई हर किसी के सिर दर्द का कारण बन चुकी है। आप रोज़मर्रा की ज़रूरतों के सामान की कीमतें देखिए, तो ऐसा लगता है कि खरीदारी के लिए बैंक लूटने की ज़रूरत पड़ सकती है। लेकिन सोचिए, जिन केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) के जरिए राहत मिलनी चाहिए, उन्हें उनकी मेहनत की सही कीमत भी नहीं मिल रही। आखिर क्यों? इसी सवाल का जवाब खोजते हुए कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉईज़ एंड वर्कर्स ने 17 जनवरी 2025 को सरकार को एक धमाकेदार पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने DA और DR की गणना की मौजूदा प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और इसे बदलने की मांग की है। चलिए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।

क्या है मामला?

DA और DR कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई की मार से बचाने के लिए दिया जाता है। लेकिन यह फायदा कितना मिलता है? कमाल की बात यह है कि यह महंगाई के हिसाब से नहीं बल्कि पुराने फॉर्मूलों के हिसाब से दिया जाता है। नतीजा? असली महंगाई का बोझ सीधे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की जेब पर पड़ता है।

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कन्फेडरेशन ने क्या मांगा है?

कन्फेडरेशन ने सरकार से DA/DR की गणना में बड़े सुधार की मांग की है ताकि कर्मचारियों को असली महंगाई के हिसाब से हर तीन महीने में फायदा मिल सके। अब सोचिए, जब बाजार की कीमतें हर महीने बदलती हैं, तो DA/DR साल में सिर्फ दो बार क्यों बदले?

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DA की मौजूदा गणना कैसे होती है?

DA का फॉर्मूला देखिए, तो लगेगा कि इसे 90 के दशक से अपडेट ही नहीं किया गया।

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  1. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए:

    DA = {(AICPI (Base Year 2016 = 100) का 12 महीने का औसत – 115.76)/115.76} × 100

  2. सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए:

    DA = {(AICPI (Base Year 2001 = 100) का 3 महीने का औसत – 126.33)/126.33} × 100

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क्या आप सोच रहे हैं, “ये गणित है या कोई पहेली?” यही तो मुद्दा है। पुराने फॉर्मूलों की वजह से कर्मचारियों को असली महंगाई का फायदा नहीं मिल पाता।

कन्फेडरेशन की बड़ी मांगें

1. DA की गणना में सुधार

कन्फेडरेशन चाहता है कि मौजूदा 12 महीने के औसत की जगह 3 महीने के औसत को अपनाया जाए। इससे महंगाई के उतार-चढ़ाव का असर तुरंत DA में दिखेगा।

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2. तिमाही आधार पर DA संशोधन

सार्वजनिक क्षेत्र और बैंक कर्मचारियों को हर 3 महीने में DA मिलता है, जबकि केंद्रीय कर्मचारियों को 6 महीने बाद।

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  • सोचिए, जनवरी में महंगाई बढ़ी, लेकिन उसका फायदा कर्मचारियों को अगले साल जुलाई तक नहीं मिलता।
  • अगर DA हर 3 महीने में संशोधित हो, तो ये समस्या खत्म हो सकती है।

3. पॉइंट-टू-पॉइंट DA लागू हो

अभी DA को राउंड करके दिया जाता है।

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  • उदाहरण के लिए, अगर DA 43.90% बनता है, तो इसे 43% कर दिया जाता है।
  • 0.90% का नुकसान? यानी हर कर्मचारी को हजारों का नुकसान।
  • कन्फेडरेशन की मांग है कि बैंक और LIC की तरह पॉइंट-टू-पॉइंट DA लागू किया जाए।

4. अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)

मौजूदा CPI 465 वस्तुओं पर आधारित है, जिनमें से कई वस्तुएं सरकारी कर्मचारियों की रोज़मर्रा की जरूरतों से दूर-दूर तक संबंध नहीं रखतीं।

  • अगर सरकारी कर्मचारियों के लिए अलग CPI तैयार किया जाए, तो गणना और बेहतर हो सकती है।

5. खुदरा कीमतों की सही गणना

लेबर ब्यूरो का CPI और बाजार की वास्तविक कीमतों में 30% तक का अंतर होता है।

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  • अगर कीमतें डायरेक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टैटिस्टिक्स या डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के हिसाब से तय हों, तो यह ज्यादा सही होगा।

सरकार के लिए सुझाव

➡️ महंगाई भत्ते और महंगाई राहत के फॉर्मूलों में तुरंत बदलाव हो।
➡️ DA को तिमाही आधार पर लागू किया जाए।
➡️ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को वास्तविक कीमतों के हिसाब से अपडेट किया जाए।

आपकी जेब पर इसका असर

सोचिए, अगर ये सुधार लागू होते हैं, तो:

  1. हर 3 महीने में सटीक DA मिलेगा।
  2. पॉइंट-टू-पॉइंट DA से हर पैसे का फायदा होगा।
  3. महंगाई का सही-सही असर जेब पर पड़ेगा।

महंगाई भत्ता एक ऐसा हथियार है, जो कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई की मार से बचा सकता है। लेकिन अगर इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया, तो इसका असली फायदा कभी नहीं मिल पाएगा। कन्फेडरेशन की मांगें जायज़ हैं और इन्हें लागू करना सिर्फ कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए फायदेमंद होगा। अब सवाल ये है कि क्या सरकार इस पर ध्यान देगी? या कर्मचारियों को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी? आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में जरूर बताएं!

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Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

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