Petrol And Diesel Rate : अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के बाजार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतें 72 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे चली गई हैं। ये कीमतें पिछले एक साल के सबसे कम स्तर पर पहुंच गई हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले छह महीने तक कच्चे तेल की कीमतें 75 से 80 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं। इसका मतलब ये है कि भारत के लिए कुछ राहत की उम्मीद तो बन रही है, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका असर होने की संभावना कम है। चलिए जानते हैं, इस गिरावट का भारत पर क्या असर हो सकता है।
अमेरिका और रूस के फैसलों का असर
अमेरिका ने हाल ही में कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने की घोषणा की है, जबकि रूस और ईरान पर तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसका सीधा फायदा अमेरिका के क्रूड बाजार को हो रहा है। वहीं, सऊदी अरब ने ये फैसला लिया है कि वह तेल उत्पादन में किसी तरह की कटौती नहीं करेगा, जिससे कच्चे तेल की कीमतें और गिर सकती हैं। इन बदलावों के बीच भारत के लिए स्थिति थोड़ा जटिल हो सकती है, क्योंकि देश के तेल आयात में रूस और ईरान जैसे देशों की अहम भूमिका रही है।
भारत पर असर
रुपये की स्थिति पर असर
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सबसे बड़ा फायदा भारतीय रुपये को हो सकता है। जब कच्चे तेल की कीमत कम होती है, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम पड़ता है, और इससे रुपये की मजबूती में मदद मिलती है। डॉलर के मुकाबले रुपये में थोड़ी मजबूती देखने को मिल सकती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।
तेल कंपनियों को फायदा
सरकारी तेल कंपनियों को इस गिरावट से अच्छा मुनाफा हो सकता है। अनुमान के मुताबिक, ये कंपनियां 7 से 9 रुपये प्रति लीटर तक का मुनाफा कमा सकती हैं। हालांकि, इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बड़ी राहत मिलने की संभावना कम है। तेल कंपनियां अभी भी मुनाफा बनाए रखना चाहती हैं, और शायद इसी वजह से हमें कीमतों में ज्यादा कमी देखने को नहीं मिलेगी।
फ्यूल की कीमतों में राहत नहीं
आम आदमी को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलना फिलहाल मुश्किल लगता है। सरकार और तेल कंपनियां कीमतों को नियंत्रित रखकर अपने मुनाफे को बनाए रखने की कोशिश करेंगी। इसके अलावा, रूस से तेल खरीदने में भी भारत को कुछ चुनौतियां आ सकती हैं। रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते इस तेल की खरीदारी में कई तकनीकी और कारोबारी दिक्कतें आ सकती हैं।
भारत में फ्यूल की कीमतें कब बदली थीं
भारत में पेट्रोल और डीजल की आखिरी बार कीमतों में बदलाव मार्च 2024 में किया गया था। उस वक्त तेल कंपनियों ने 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। तब कच्चे तेल की कीमत 89 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन अब ये कीमतें घटकर 73 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई हैं। इसके बावजूद, आम आदमी को अब तक इसका कोई फायदा नहीं मिला है। यही वजह है कि लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब जब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, तो सरकार तेल कंपनियों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की मांग कर सकती है।
आने वाले महीनों में क्या होगा
अगले कुछ महीनों में कच्चे तेल की कीमतों का क्या होगा, यह अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं है। सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि स्थिति अभी भी अनिश्चित है, और आगे क्या होगा, ये कहना मुश्किल है। वे किसी भी बड़े बदलाव से बचने की कोशिश करेंगे, ताकि उन्हें मुनाफे में कोई कमी न आए। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव होता है या नहीं।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए थोड़ी राहत लेकर आ सकती है, लेकिन इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं दिखती है। रुपये की मजबूती और तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ने के बावजूद, आम आदमी को अभी तेल की कीमतों में राहत का इंतजार करना पड़ सकता है। सरकार और तेल कंपनियां फिलहाल कीमतों को स्थिर बनाए रखने की कोशिश करेंगी। ऐसे में आने वाले महीनों में कच्चे तेल के बाजार की हलचल पर नज़र रखना जरूरी होगा।
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