Landlord Rights Update : अगर आपके पास कोई प्रॉपर्टी है और आप उसे किराए पर देने की सोच रहे हैं, तो थोड़ा सतर्क रहना बहुत जरूरी है। मकान किराए पर देने से आमदनी का एक अच्छा जरिया बनता है, लेकिन अगर सावधानी नहीं बरती गई, तो बड़ा नुकसान भी हो सकता है। भारत में कुछ ऐसे कानून हैं, जिनके तहत कोई भी किरायेदार आपकी प्रॉपर्टी पर दावा ठोक सकता है। इसलिए, किरायेदार को घर देने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि मकान मालिकों को किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए।
किराए पर देने से पहले ये बातें जान लें
आजकल प्रॉपर्टी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, और इसे खरीदना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। जब कोई व्यक्ति सालों की कमाई लगाकर मकान खरीदता है, तो उसका मकसद होता है कि वो उससे अच्छी कमाई कर सके। लेकिन कई बार मकान मालिकों की एक छोटी सी लापरवाही उनकी ही प्रॉपर्टी पर खतरा बन सकती है। अगर आप भी किराए पर मकान देने की सोच रहे हैं, तो पहले कुछ जरूरी नियमों को समझ लें।
किरायेदार से जुड़े कानूनी जोखिम
कई मकान मालिक मकान किराए पर देने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं कि बस हर महीने समय पर किराया आ जाए, फिर कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन असली परेशानी तब खड़ी होती है जब किरायेदार लंबे समय तक बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ के मकान में रह जाता है।
अगर आप बिना किसी लिखित समझौते के किसी को मकान दे देते हैं और किरायेदार 12 साल तक लगातार उसी घर में बिना किसी रुकावट के रह लेता है, तो वह उस मकान पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। इसे कानूनी भाषा में ‘प्रतिकूल कब्जा’ (Adverse Possession) कहा जाता है।
क्या कहता है कानून
भारतीय कानून के मुताबिक, अगर कोई किरायेदार 12 साल तक लगातार किसी निजी संपत्ति में बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ के रहता है, तो वह उस संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकता है। लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत निजी संपत्ति पर दावा करने की अधिकतम अवधि 12 साल है, जबकि सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति के मामले में यह अवधि 30 साल होती है।
अगर कोई किरायेदार इस कानून का फायदा उठाने की कोशिश करता है, तो उसे कुछ दस्तावेज़ पेश करने होंगे, जैसे कि-
- किराए की रसीदें
- बिजली-पानी के बिल
- संपत्ति कर (प्रॉपर्टी टैक्स) की रसीदें
- पड़ोसियों और अन्य गवाहों के बयान या एफिडेविट
अगर ये सबूत उसके पक्ष में होते हैं, तो मकान मालिक को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
मकान मालिक को क्या करना चाहिए
अगर आप मकान को किराए पर दे रहे हैं, तो इन बातों का खास ध्यान रखें:
- रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं – बिना रेंट एग्रीमेंट के मकान किराए पर देना बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है। एक सही और वैध रेंट एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार, दोनों की सुरक्षा करता है। इसमें किराए की राशि, भुगतान की शर्तें, रहने की अवधि और अन्य नियमों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए
- एग्रीमेंट को 11 महीने के लिए बनवाएं – आमतौर पर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए बनाया जाता है। यह एक सुरक्षित तरीका है, क्योंकि इसे रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ती और आसानी से रिन्यू किया जा सकता है
- हर साल रिन्यूअल कराएं – मकान मालिकों को चाहिए कि वे समय-समय पर रेंट एग्रीमेंट को रिन्यू कराते रहें, ताकि कोई कानूनी अड़चन न आए
- किरायेदार की बैकग्राउंड चेकिंग करें – किसी को भी घर किराए पर देने से पहले उसकी पूरी जानकारी लेना जरूरी है। उसके पिछले रेंट रिकॉर्ड्स, नौकरी और अन्य डिटेल्स जरूर जांच लें
- बिजली-पानी के बिल अपने नाम पर रखें – कोशिश करें कि बिजली और पानी का कनेक्शन किरायेदार के नाम पर न हो। इससे यह साबित किया जा सकता है कि किरायेदार अस्थायी रूप से वहां रह रहा था
- संपत्ति का समय-समय पर निरीक्षण करें – मकान मालिक को अपने घर का नियमित रूप से निरीक्षण करते रहना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किरायेदार किसी प्रकार का गैरकानूनी कब्जा जमाने की कोशिश न कर रहा हो
निश्चिंत रहने के लिए सही प्लानिंग जरूरी
अगर मकान मालिक इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं, तो उन्हें भविष्य में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मकान किराए पर देने का सही तरीका अपनाने से आपकी आमदनी भी बनी रहेगी और कानूनी समस्याओं से भी बचाव होगा। इसलिए, जब भी मकान किराए पर दें, तो पहले पूरी जानकारी ले लें और कानूनी औपचारिकताएं जरूर पूरी करें।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।